HI/680301 - अच्युतानंद को लिखित पत्र, लॉस एंजिल्स
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१ मार्च, १९६८
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
शिविर: आई.एस.के.सी.ओ.एन. राधा कृष्ण मंदिर
५३६४ डब्ल्यू पिको बलवड. लॉस एंजिल्स, क.ल. ९००१९
मेरे प्रिय अच्युतानंद,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मुझे मुकुंद और गुरुदास के नाम से आपका पत्र मिला है, जिसमें आप यह कहने के लिए लिखते हैं कि मैं आपके वापस आने की स्वीकृति स्वरुप आपको एक तार भेज सकता हूँ। इसका अर्थ यह हुआ कि आप अमरिका वापस आने के लिए अत्यधिक उत्सुक हो गए हैं और मैं अमरिका वापस जाने के लिए बहुत उत्सुक हो गया हूँ और मैंने पहले ही २१ फरवरी के आपके अंतिम पत्र के उत्तर में इसकी स्वीकृति दे दी है। असल बात तो यह है, कि आप अकेला अनुभव कर रहे हैं और बालक क्योंकि आप ऐसा कह रहे हैं, आप परेशान हो गए हो। अन्यथा एक उपदेशक के लिए कहीं भी कोई कठिनाई नहीं होती, चाहे वह किसी भी वातावरण और परिस्थिति में क्यों न हो। मैं यहाँ दिसंबर के महीने में आया था और जैसे मेरा देश आपके लिए गर्म है, वैसे ही आपका देश मेरे लिए ठंडा है। मैं भी रोगग्रस्त अवस्था में हूँ। जब मैं पहली बार आपके देश में आया था तो मैंने व्यावहारिक रूप से सभी मौसमों को सहन किया था। मैं यहाँ १९६५ सितंबर में आया था और मैं आपके देश के उत्तरी हिस्से, अर्थात् एन.वाई., पेन, और मैस्स. इत्यादि में लगातार सितंबर १९६५ से दिसंबर १९६६ तक रहा और आप जानते हैं कि एन.वाई. किंतना ठंड़ा है। मैंने एन.वाई. की सड़कों पर बर्फ को सहन किया, इसलिए निश्चित रूप से मैं बहुत आरामदायक स्थिति में नहीं था। फिर भी मेरे पास मन की ताकत थी और मैं बना रहा। इसी तरह, [पाठ अनुपलब्ध] यदि आपके पास मन की ताकत हो, तो आप हमेशा भारत में, सबसे असुविधाजनक स्थिति में भी रह सकते हैं। एक और कठिनाई यह है कि यद्यपि पहले से ही, भारत में आप चार भक्त हैं, आप एक साथ नहीं रह पाते। आपके जाते ही रामानुज ने छावनी छोड़ दी। आपको हरिविलास पसंद नहीं है। तो आप बिखरे हुए जी रहे हैं। यह एक और कठिनाई है। यदि आप आपस में मिलजुल कर रह पाते, तो कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन मुझे लगता है कि यह भी संभव नहीं है।
मेरी स्पष्ट राय में, मुझे लगता है कि वर्तमान समय में यदि आप तीनों, अर्थात् आप स्वयं, हरिविलास और ऋषिकेश एक साथ रह सकें, तो कोई कठिनाई नहीं होगी। आप वृंदावन जा रहे हैं, तो आपने मुझे पहले बताया था कि आपने ५० रुपये प्रति माह पर एक बहुत अच्छा घर देखा हुआ है, क्यों न उस घर को लिया जाए, और तीनों एक साथ रहें, हरे कृष्ण का जाप करें और दिव्य शांति में रहने का प्रयास करें। वृंदावन में व्यवस्था यह है कि दिन के समय कोई भी नीचे रह सकता है और दरवाजा बंद कर सकता है और बिजली का पंखा चला सकता है। मैं उसी तरह अपने कमरे में राधा दामोदर मंदिर में रहा करता था, दरवाजा बंद करके, पूरी तरह से अंधेरा करके और पंखा चला करता था। मैं कभी परेशानी में नहीं था। तो यदि कोई रहने के लिए दृढ़ है, तो कृष्णभावनामृत में एक साथ रहने के लिए चीजों को समायोजित किया जा सकता है।
हालांकि, मैं आपसे रहने के लिए आग्रह नहीं करता हूँ, लेकिन यदि आप चाहें तो आप उस घर को ५० रुपये प्रति माह पर ले सकते हैं और वहाँ तुरंत एक अमरिकी हाउस आरंभ कर सकते हैं। अन्यथा जैसा आपने निश्चित किया है, आप मार्च के अंत तक अमरिका वापस आ सकते हैं, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन [पाठ गायब] आने से पहले आप मेरी चीजों को मेरे कमरे में ठीक से रख दें और उसे ठीक से बंद कर दें और चाबियाँ अपने साथ लेकर आएँ और जब मैं अप्रैल के महीने में न्यूयोर्क आऊँगा तब मुझे दे दें। मेरे खाना पकाने के बर्तन, कंबल और टाइपराइटर कमरे में बहुत सुरक्षित रुप से रखें। टाइपराइटर को धातु के बक्से में रखा जा सकता है और कंबल और रैपर को छत के हैंगर से लटकाया जा सकता है। और आपके पास जो पैसा है, उसे पंजाब नेशनल बैंक खाता संख्या ९९१३ के मेरे खाते में जमा करवाया जा सकता है।
जब आप वापस आएँ, तो कृपया आप अपने साथ २ एलबीएस. त्रिफला की और २ एलबीएस. बडैलाइच की ला सकते हैं।
आशा करता हूँ कि आप इस समय तक स्वस्थ अनुभव कर रहे होंगे।
आपका नित्य हितैषी,
[अहस्ताक्षरित]
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