HI/680312 बातचीत - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
इस जीवन की पूर्णता है स्वयं को समझना, मैं क्या हूँ। यह शुरुआत है। मैं क्यों पीड़ित हूँ? क्या इस पीड़ा का कोई समाधान है? और बहुत सारी चीज़ें हैं। ये प्रश्न होने चाहिए। जब तक एक व्यक्ति इन सवालों के प्रति जागृत नहीं है, कि “मैं क्या हूँ? मुझे तकलीफ क्यों हो रही है? मैं कहां से आया हूं, और मुझे कहां जाना है?" तब तक उसे पशु स्तर पर माना जाता है। क्योंकि जानवरों को ऐसे कोई सवाल नहीं होते है। सिर्फ मनुष्य जीवन में ही ये प्रश्न होते हैं।
680312 - इंटरव्यू - सैन फ्रांसिस्को