HI/680508 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
जब तक व्यक्ति बहुत बुद्धिमान नहीं है, वह कृष्ण भावनाभावित या भगवद भावनाभावित नहीं हो सकता । इसलिए इस शब्द का प्रयोग किया गया है, प्राज्ञा । प्राज्ञा का अर्थ है... प्रा का अर्थ है प्रकृष्ट-रूपेण, विशेष रूप से । ज्ञा, ज्ञा का अर्थ है बुद्धिमान मनुष्य । तो भागवत धर्म, भागवत धर्म क्या है ? वो मैंने पहले ही समझाया है । फिर से हम दोहरा सकते हैं । भागवत धर्म का अर्थ है भगवान के साथ हमारे खोए हुए संबंध को फिर से स्थापित करना । यह भागवत धर्म है । |
680508 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.१ - बॉस्टन |