HI/680623 - सुबल को लिखित पत्र, मॉन्ट्रियल

23 जून, 1968
मेरे प्रिय सुबल,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं 17 जून, 1968 को आपके पत्र की प्राप्ति की सूचना देता हूँ, तथा इसकी विषय-वस्तु को बहुत प्रसन्नतापूर्वक पढ़ता हूँ। निश्चिंत रहें कि कृष्ण की सेवा के लिए आपकी कड़ी मेहनत तथा ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाएगा। मुझे आशा है कि इस समय तक आपको हरे नाम ब्रह्मचारी से $100 का चेक मिल गया होगा। तथा मैंने उन्हें सलाह दी है कि वे आपकी सहायता के लिए अगले 3 महीनों तक आपको कम से कम $50.00 प्रति माह भेजें। इस बीच, आप आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करें। मैंने श्रीमान वूमापति ब्रह्मचारी को भी आपके साथ जुड़ने की सलाह दी है। वे अभी सैन फ्रांसिस्को में हैं, क्योंकि एस.एफ. में उन्हें रथयात्रा महोत्सव के दौरान उनकी सहायता की आवश्यकता होगी। मैं उन्हें महोत्सव के तुरंत बाद आपके साथ जुड़ने की सलाह दे रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि आप दोनों का संयोजन अच्छा होगा, क्योंकि वूमपती लिखते हैं "सुबल मेरा अच्छा दोस्त है और आपकी दिव्य सेवा में उसके साथ काम करना मुझे बहुत खुशी देगा।
इसलिए आप अधिक उत्साह के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें और कृष्ण आपको अधिक से अधिक सहायता भेजेंगे। आपके अच्छे प्रयास के लिए एक बार फिर धन्यवाद, और मुझे आशा है कि आप अच्छे होंगे।
आपका सदैव शुभचिंतक,
एसीबी
पी.एस. मैंने कृष्णा देवी से भी आपको कुछ सहायता भेजने के लिए कहा है। मुझे देखना है कि वह क्या प्रतिक्रिया देती हैं। एसीबी
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