HI/680702b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
| HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी | 
| तो एक भक्त को प्रसन्न करना बहुत अच्छा है । इसलिए हमारी प्रक्रिया एक भक्त का आश्रय लेना है । हम सीधा कृष्ण को संपर्क नहीं करते हैं । गोपी भर्तुर पाद कमलयोर दास दासानुदास (चै.च. मध्य १३.८०) । इसलिए वृन्दावन में आप देखेंगे हर कोई राधारानी की स्तुति कर रहा है, क्योंकि राधारानी बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं । और जैसे ही राधारानी प्रसन्न होती हैं, कृष्ण स्वतः ही प्रसन्न हो जाते हैं । यह प्रक्रिया है । | 
| 680702 - प्रवचन श्री.भा. ७.९.८ - मॉन्ट्रियल | 




