HI/680710b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
तो विश्वास के, या कृष्ण भावनामृत के इस मंच पर आने के लिए, प्रशिक्षण है । उस प्रशिक्षण को कहा जाता है विधि मार्ग, नियामक-सिद्धांत, नियामक सिद्धांतों का पालन करना । तो इस पूरी वर्णाश्रम प्रथा, वैदिक प्रणाली, विभिन्न जाति - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास — की बहुत ही वैज्ञानिक रूप से रचना की गई है, ताकि हम किसी भी डर के बिना, निडरता से, आत्म विश्वास के स्तर पर धीरे-धीरे ऊपर उठे । तो विप्र का अर्थ है पूरी तरह से ब्राह्मण बनने से बिलकुल पिछला चरण । |
680710 - प्रवचन श्री.भा. ७.९.१० - मॉन्ट्रियल |