भगवद्गीता को मानव समाज द्वारा न केवल भारत में, अपितु पूरे विश्व में लंबे समय से पढ़ा जा रहा है। किंतु दुर्भाग्य से, चूंकि भौतिक संदूषण के संपर्क से सब कुछ बिगड़ गया है, इसलिए लोगों नें भगवद्गीता की अलग-अलग तरीकों से व्याख्या करनी प्रारंभ कर दी। इसलिए लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व, भगवान चैतन्य प्रकट हुए, और उन्होंने बंगाल में अपने व्यक्तिगत मार्गदर्शन में कृष्ण भावनामृत आंदोलन शुरू किया। उनका जन्मस्थान नवद्वीप है। उन्होंने प्रत्येक भारतीय को समूचे विश्व के प्रत्येक गाँव एवं कस्बे में, कृष्ण भावनामृत के इस संदेश को फैलाने का आदेश दिया। यह ही उनका आदेश था।
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