HI/681021 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
जब एक पक्षी आकाश में उड़ता है, उसे पिछे सब कुछ छोड़ना पड़ता है, और उसे आकाश में अपने बल पर उड़ना पडता है। कोई और सहायता नहीं है। पक्षी ही क्यों? इन हवाई जहाज़, जेट विमानों को ही ले लो। जब हम आकाश मे जाते है, हम धरा पर की हमारी ताकत पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। यदि विमान पर्याप्त रूप से मजबूत है, तो हम उड़ सकते हैं; अन्यथा खतरा है। इसी प्रकार जो व्यक्ति अत्यधिक भौतिकवादी हैं, वे सोच रहे हैं कि यह धन, प्रतिष्ठा और भौतिक ताकत उन्हें बचाएगी। नहीं। यह आपका भ्रम है। |
681021 - प्रवचन श्री.भा. ७.९.८ - सिएटल |