HI/690112 - कीर्त्तनानन्द को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस

कीर्त्तनानन्द को पत्र (पृष्ठ १ of २)
कीर्त्तनानन्द को पत्र (पृष्ठ २ of २)


त्रिदंडी गोस्वामी

ए सी भक्तिवेदांत स्वामी
आचार्य: अन्तर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ

कैंप: ४५०१/२ एन हयवर्थ एवेन्यू.
लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया ९००४८



दिनांक: जनवरी १२ ,१९६९
मेरे प्रिय कीर्त्तनानन्द,

कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके दिनांक जनवरी ९, १९६९ के पत्र की प्राप्ति की पावती देता हूं, और नए साल की शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद देता हूं। कृपया मेरी तरफ से भी स्वीकार करें।

जहां तक हमारा संबंध है, हर दिन हमारे लिए नया साल है क्योंकि कृष्ण नित्य लीला से संबंधित हैं। नित्य लीला का मतलब है कि इतने सारे ब्रह्मांडों में से किसी में उनकी लीला चल रही हैं। यह सूर्य के उगने के समान है। आपके देश में वर्तमान समय में ६:३0 बजे सूरज उगने वाला है, लेकिन किसी भी समय आप दुनिया के किसी हिस्से में पूछताछ कर सकते हैं और यह वही ६:३0 और सूर्योदय है। जब आप इस मध्याह्न में होते हैं, तो किसी अन्य देश में यह सुबह ६:३0 बजे हो सकता है, और सूरज उग रहा होता है।

तो आपने अब नवीन वृन्दावन के सूर्योदय का कार्यभार संभाला है। हमारा कार्यक्रम सात मंदिरों के निर्माण का है। एक रूपानुग विद्यापीठ — जो ब्राह्मणों और वैष्णवों को शिक्षित करने के लिए एक विद्यालय है। हमारे पास पर्याप्त तकनीकी और अन्य प्रकार के शैक्षणिक संस्थान हैं, लेकिन शायद कोई भी ऐसा नहीं है जहां वास्तविक ब्राह्मण और वैष्णव प्रस्तुत होते हैं। इसलिए हमें उस उद्देश्य के लिए एक शैक्षिक संस्थान स्थापित करना होगा।

भगवदगीता यथारूप पर अगले साल जनवरी में पहली परीक्षा आयोजित की जाएगी, और पास करने वालों के पास भक्ति-शास्त्री की डिग्री होगी। अगले वर्ष हम श्रीमद्भागवतम् पर एक परीक्षा आयोजित करेंगे, और जो व्यक्ति उत्तीर्ण होगा उसका शीर्षक भक्तिवैभव होगा। और अगले वर्ष हम भगवान चैतन्य की शिक्षाएँ, भक्तिरसामृतसिन्धु और वेदांत सूत्र की शिक्षाओं पर एक परीक्षा आयोजित करेंगे, और जो सफलतापूर्वक पास करेंगे उन्हें भक्तिवेदांत की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। १९७५ तक, उपरोक्त सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने वाले को कृष्ण चेतना की संख्या को बढ़ाने और दीक्षा देने के लिए विशेष रूप से सशक्त बनाया जाएगा।

एक और महत्वपूर्ण योजना अगले वसंत में एक अच्छा प्रेस शुरू करना है। इसलिए ये कर्तव्य नवीन वृंदावन में हैं, और हमें गायों, अनाजों, फलों और फूलों को पाल-पोश कर स्वतंत्र रूप से वहाँ रहना होगा। मैंने ये बातें हयग्रीव को पहले ही बता दी हैं, और वह अब विवाहित है और एक जिम्मेदार गृहस्थ है। आप बेशक संन्यासी हैं। आपका कर्तव्य अधिक प्रचार करना होगा और वहां की गतिविधियों की निगरानी होगी। लेकिन सब कुछ संयुक्त रूप से करें। पूर्ण सहयोग के लिए कई गृहस्थ और ब्रह्मचारी आपसे जुड़ेंगे। उनमें से कुछ ने तुरंत वहां जाने की तैयारी कर ली है, और शायद आपको इस बारे में कुछ पत्र मिले हैं। इसलिए भविष्य में सब कुछ बहुत उज्ज्वल प्रतित होता है। हमें बहुत ही शिथिलता से चीजों से निपटना होगा और सफलता अवश्य मिलेगी। तत्काल आवश्यकता जीवन निर्वाह के लिए कुछ सरल कुटिया का निर्माण करना है, और फिर सब कुछ धीरे-धीरे बाहर स्पष्ट हो जाएगा, एक के बाद एक। मुझे आशा है कि आप पहले से ही हयग्रीव के संपर्क में हैं, और उन्होंने आपसे इन विचारों के बारे में बात की होगी।

हमारी नई वृंदावन योजना के विचार को क्रियान्वित करने में कृष्ण आपको दीर्घायु प्रदान करें। एक बार फिर आपको धन्यवाद।


आपके नित्य शुभचिंतक,


ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी