HI/690131 - वामनदेव को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस
जनवरी ३१,१९६९
मेरे प्रिय वामनदेव,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं २२जनवरी, १९६९ के आपके पत्र की प्राप्ति को स्वीकार करता हूं, और मैंने ध्यान से विषय को नोट किया है। सबसे पहले मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आप हवाई में सहज महसूस कर रहे हैं और आप खुद को व्यस्त रख रहे हैं। मुझे खुशी है कि आप और मुरारी मेरे व्यासासन पर काम कर रहे हैं, और जैसे ही यह पूरा होगा, आप मुझे वहां बुला सकते हैं, और मैं जाऊंगा। मुझे लगता है कि अगर मुझे हवाई जाना है, तो मुझे मार्च तक वहां जाना होगा, क्योंकि कोलंबिया और अन्य स्थानों में मेरी अन्य व्यस्तताएं हैं।
मुझे प्रसन्नता है कि आप शिक्षाविदों से बात कर रहे हैं और आप उन्हें कृष्ण चेतना से परिचित कराने का प्रयास कर रहे हैं। हवाई में हर विश्वविद्यालय और कॉलेज में हमारे भगवद-गीता यथारूप को पेश करने का प्रयास करें। गौरसुंदर के साथ उन्हें समझाने की कोशिश करे कि हमारा प्रकाशन सबसे अच्छा है। यह बड़ी सेवा होगी। अगर जरूरत हो , कॉलेजों के विभिन्न विभागों में मुख्य व्यक्ति को भगवद-गीता की एक प्रति दी जा सकती है, जिसके माध्यम से निर्णय लिया जा सकता है। इस तरह, इसे हर कॉलेज और विश्वविद्यालय के धार्मिक वर्ग और पुस्तक विभाग में पेश करने का प्रयास करें।
कृपया मेरा आशीर्वाद दूसरों को दें। मुझे उम्मीद है कि यह आपको बहुत अच्छे स्वास्थ्य में मिलेगा।
आपके नित्य शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
संलग्नक: आपके ड्राफ्ट बोर्ड को भेजे गए पत्र की १ कार्बन कॉपी।
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