HI/690319b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हवाई में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो हमारा वैष्णव सिद्धांत यह है कि हमें अपने आप को योग्य बनाना है, जैसे बिल्लियों और कुत्ते को अपना मालिक चाहिए। लेकिन हम साधारण व्यक्ति की सेवा नहीं करने जा रहे हैं। कृष्ण और उनके प्रतिनिधि की- तो उनका जीवन एकदम सही है। कलौ शूद्र संभवा। इस युग में, हर कोई शूद्र है। व्यावहारिक रूप से एक स्वामी की तलाश में है। लेकिन उसे एक स्वामी की तलाश करने दें। कृष्ण तैयार हैं। वह कहते हैं, सर्व-धर्म परित्याग मां एकम शरणम् व्रज (भ. गी. १८.६६) "बस मुझे अपने गुरु के रूप में स्वीकार करें।" स्वामी तैयार है। अगर हम इस स्वामी (कृष्ण) को स्वीकार करते हैं, तो हमारा जीवन सफल है।"
690319 - प्रवचन श्रीमद भागवतम ०७.०९.०८-११ - हवाई