"यह कृष्ण भावनाभावित आंदोलन बढ़ रहा है क्योंकि यह स्वाभाविक है। हर कोई पिता एवम पुत्र के समान ही ईश्वर का हिस्सा है। रक्त संबंध के कारण यहां प्राकृतिक आत्मीयता है। उस शिशु के समान जो अपनी माता से स्नेह करता है। बच्चे को माँ से स्नेह है क्योंकि बच्चे को सदैव माँ से स्वाभाविक स्नेह प्राप्त हुआ। मेरा कहने का अर्थ है, शिशु ने माँ के साथ चलना सीखा है। इसी तरह, आप सभी भगवान के पुत्र हैं। हमें भगवान के लिए प्राकृतिक आत्मीयता मिली है। दुर्भाग्य से, आप भूल गए हैं। यह हमारी स्थिति है। यह हमारी स्थिति है। माया।"
|