कई योगी हैं: कर्म-योगी, ज्ञान-योगी, ध्यान-योगी, हठ-योगी, भक्ति-योगी । योग प्रणाली बिलकुल एक सीढ़ी की तरह है । बस न्यूयॉर्क की तरह, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, यह १०२ मंजिला इमारत, तो एक सीढ़ी या लिफ्ट है । तो योग प्रणाली जीवन की सर्वोच्च पूर्णता पर जाने के लिए बिलकुल एक लिफ्ट की तरह है । लेकिन अलग-अलग हैं, मेरा मतलब है फ्लैट्स । जैसे कि कर्म-योग । आप पहले या दूसरे माले तक पहुँच सकते हो । इसी तरह, ज्ञान-योग से, आप पचासवे माले तक प्रगति कर सकते हैं । और इसी तरह, ध्यान-योग से, आप अठारहवीं मंजिल तक प्रगति कर सकते हैं । पर भक्ति योग द्वारा, आप उच्चतम मंच पर जा सकते हैं । यह भी भगवद गीता में बहुत अच्छी तरह से समझाया गया है, भक्त्या माम अभिजानति (भ.गी. १८.५५) । भगवान् कहते है, 'यदि आप मुझे शत प्रतिशत जानना चाहते हैं, तो इस भक्ति योग पर आइए ।' और इस भक्ति-योग का अर्थ है श्रवणम । पहली बात है श्रवणम और कीर्तनम । आप बस जप करो और सुनो, सरल प्रक्रिया ।
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