HI/690526 - श्यामसुंदर को लिखित पत्र, न्यू वृंदाबन, अमेरिका
केंद्र न्यू वृंदाबन
आरडी ३,
माउंड्सविल, वेस्ट वर्जीनिया २६०४१
दिनांक मई २६, १९६९
मेरे प्रिय श्यामसुंदर,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। आपका मई २१, १९६९ का पत्र पढ़कर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मेरी सेहत के लिए आप चिंता न करें, क्योंकि मैं आजकल काफी स्वस्थ्य हूं। बॉस्टन में, दो-तीन दिन के लिए, कमर में हल्का दर्द हो रहा था लेकिन अब मैं इस पहाड़ी इलाके में चढ़ाव-उतार कर रहा हूं। अतः चिंतित न हों। अभी करीब १६ केंद्र हैं, इसलिए हमें रोजाना कम से कम १६ केंद्रों की देखभाल करनी है। अन्यथा, इन शाखाओं का संचालन कैसे किया जा सकता है? लेकिन धीरे-धीरे मैं विभाग प्रमुखों को जिम्मेदारी बांटने की कोशिश कर रहा हूं। मुझे बहुत खुशी है कि आप हमारे लंदन यात्रा कार्यक्रम की सफलता के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि हमारा लंदन कार्यक्रम बहुत सफल होगा क्योंकि आप सभी ईमानदार कार्यकर्ता हैं। हमारे कृष्ण भावनामृत आंदोलन में, जिस किसी पर भी आध्यात्मिक गुरु का पूर्ण आशीर्वाद और विश्वास है, और इस कारण से कृष्ण का, उसकी सफलता निश्चित है। चैतन्य चरितामृत में यह कहा गया है "गुरु कृष्ण कृपाय पाय भक्ति लता बीज (चैतन्य चरितामृत मध्य १९.१५१)।"
मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि आप जॉर्ज हैरिसन जैसे महान व्यक्तित्व से लगातार मिलजुल रहे हैं, और वे धीरे-धीरे हमारे आंदोलन में प्रवृत्ति कर रहे हैं। मुझे यह जानकर अत्यंत संतुष्टि हुई कि उन्होंने हाल ही में आपके साथ हरे कृष्ण का एक रिकॉर्ड बनाया है। यदि संभव हो तो मुझे इसकी एक टेप रिकॉर्डिंग भेजें ताकि मैं इसे यहां चला सकूं।
रथयात्रा के संबंध में, यह किसी भी कीमत पर किया जाना चाहिए। मैं जाऊँ या न जाऊँ; यह महत्वपूर्ण नहीं है। लेकिन रथयात्रा महोत्सव, जैसा कि आपने पहले ही कार्यक्रम बना लिया है, किसी न किसी तरह से करना ही होगा। सैन फ्रांसिस्को में तमाल कृष्ण तथा सभी पश्चिमी तट केंद्रों के पूर्ण सहयोग द्वारा आयोजित एक भव्य कार्यक्रम बनाया जा रहा है। वे सभी नज़दीक स्थानों से जनता को आमंत्रित कर रहे हैं, और वे लोगों की एक बड़ी सभा की अपेक्षा करते हैं। यदि मैं लन्दन रथयात्रा उत्सव में भाग लेने के लिए वहाँ नहीं जाऊँगा तो मैं उस उत्सव में भाग लेने के लिए सैन फ्रांसिस्को जाऊँगा। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि मैं वहां जाऊं और मुझे आमंत्रित किया जाए, तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं। माताजी शामदेवी ने मुझे लंदन जाने के लिए आमंत्रित किया है और वह कहती हैं कि उन्होंने लीसेस्टर में एक आश्रम शुरू करके मेरी इच्छा पूरी की है और देवता के विग्रह आ गए हैं। वह इस बात पर जोर देती हैं कि मुझे वहां जाना चाहिए और चाहती हैं कि मैं उन्हें सूचित करूँ कि मैं कब जा सकूंगा। तो आप उन्हें बता सकते हैं कि मैं जुलाई के मध्य तक लंदन जाने की उम्मीद कर रहा हूं।
कृपया मालती तथा वहां अन्य भक्तों को मेरा आशीर्वाद दें। मुझे आशा है कि आप सभी अच्छे हैं।
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी
पुनश्च: मैं यहां एन.वी. में एक औपचारिक स्कूली शिक्षा शुरू कर रहा हूं और आपकी बेटी बड़ी हो गई है, उसे यहां भेजा जा सकता है। [हस्तलिखित]
- HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र
- HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/1969-05 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका से
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका, न्यू वृंदाबन से
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका, न्यू वृंदाबन
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - श्यामसुंदर को
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - अतिरिक्त लिखावट के साथ
- HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र - मूल पृष्ठों के स्कैन सहित