HI/690528 - श्रीपति को लिखित पत्र, न्यू वृंदाबन, अमेरिका
त्रिदंडी गोस्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
केंद्र: न्यू वृंदाबन
आरडी ३,
माउंड्सविल, वेस्ट वर्जीनिया
२६०४१
दिनांक......मई २८,...................१९६९
मेरे प्रिय श्रीपति दास,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। आपके जप माला के साथ भेजे गए पत्र दिनांक मई १८, १९६९, के लिए मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं, और मैंने उनका विधिवत जप किया है और आपको अपने शिष्य के रूप में दीक्षा दी है। आपका आध्यात्मिक नाम, श्रीपति दास*, का अर्थ है भगवान नारायण या कृष्ण का सेवक। यदि आप अपनी कृष्णभावनामृत को वैसे ही विकसित करना जारी रखेंगे जैसे आप करते रहे हैं, तो निश्चित रूप से आप भगवान कृष्ण के कुशल सेवक होंगे। हमारी प्रक्रिया न कोई अवैध यौन जीवन, न कोई मांसाहारी भोजन, कोई नशा नहीं, और न कोई जुआ गतिविधियों के नियमों का ईमानदारी से पालन करना है। साथ ही, हमें दस प्रकार के अपराधों से बचते हुए, प्रतिदिन कम से कम १६ माला जप करनी चाहिए। मॉन्ट्रियल मंदिर में आपके अपने अच्छे गुरु भाइयों के साथ आपका बहुत अच्छा संबंध है, और आपको उस क्षेत्र में कृष्ण भावनामृत का प्रचार करने में उनकी मदद करनी चाहिए। तो कृपया हंसदूत से परामर्श करें, और इस संबंध में आपके लिए पर्याप्त कार्य होगी। यदि कोई प्रश्न या कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं, तो आप वहाँ के पुराने भक्तों से परामर्श कर सकते हैं, या यदि आप चाहें, तो मैं आपकी किसी भी तरह से मदद करने के लिए हमेशा आपकी सेवा में हूँ। तो अब आपके पास अपने जीवन को संसिद्धि प्रदान करने का बहुत अच्छा अवसर है, और कृपया इस बारे में हमेशा गंभीर रहें। तब कृष्ण निश्चित रूप से आपको अच्छी उन्नति के लिए सभी सुविधाएं देंगे।
मुझे आशा है की आप अच्छे हैं।
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी
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