HI/690613 - मुकुंद को लिखित पत्र, न्यू वृंदाबन, अमेरिका
त्रिदंडी गोस्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
केंद्र न्यू वृन्दावन
आरडी ३
माउंड्सविल, डब्ल्यू. वीए.
दिनांक जून १३, १९६९
मेरे प्रिय मुकुंद,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके दिनांक ७ जून १९६९के पत्र की प्राप्ति के साथ-साथ आपके, श्यामसुंदर, गुरुदास और अन्य लोगों द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित एक अन्य पत्र प्राप्ति की भी सूचना देता हूँ। यह बहुत खुशी की बात है कि आखिरकार आपको पांच मंजिला इमारत मिल गई और इस बीच चर्च के लिए बातचीत जारी है। यह बहुत अच्छी खबर है और आपके संयुक्त निमंत्रण के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं।
आपके १0 जून के पत्र में कहा गया है कि मैं २0 जुलाई से पहले लंदन नहीं जाऊंगा। मुझे नहीं पता कि आपकी आर्थिक स्थिति क्या है क्योंकि आपने हमारे विदेश यात्रा व्यय के बारे में कुछ भी नहीं बताया है। तो कृपया मुझे बताएं कि क्या आप मुझे विदेश यात्रा व्यय भेजने जा रहे हैं, या अगर मुझे इसकी व्यवस्था करनी होगी। यह आवश्यक सूचना मिलने पर मैं आवश्यक कार्रवाई करूंगा। इस बीच मैंने श्यामसुंदर के पत्र का जवाब दिया है जिसमें मैंने कहा है कि यहां के कुछ भक्त लंदन जाने के लिए तैयार हैं। बफ़ेलो से एक ब्रह्मचारी, त्रिविक्रम दास, आपको इस मामले के संबंध में एक तार भेजेंगे।
कृपया मेरा आशीर्वाद दूसरों तक पहुंचाएं। मुझे आशा है कि यह आपको अच्छे स्वास्थ्य में मिलेगा ।
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
पी.एस. आपके पिछले पत्रों में, मुझे सूचित किया गया था कि लंदन में कैंटरबरी के आर्कबिशप के साथ साक्षात्कार सहित कई कार्यक्रम होंगे।लेकिन उत्तर के तहत आपके पत्र में मैं समझता हूं कि मुझे अपने अपार्टमेंट में लोगों से मिलना होगा। इसका मतलब है कि मेरी मौजूदगी की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है। अगर आप ऐसा सोचते हैं तो यह आमंत्रण क्यों? कृपया मामला स्पष्ट करें। [हस्तलिखित]
- HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र
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- HI/1969-06 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
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- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका, न्यू वृंदाबन
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - मुकुंद को
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