HI/690617 - हंसदूत को लिखित पत्र, न्यू वृंदाबन, अमेरिका
त्रिदंडी गोस्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
केंद्र: न्यू वृंदाबन
आरडी ३,
माउंड्सविल, वेस्ट वर्जीनिया
दिनांक...... जून १७,...................१९६९
मेरे प्रिय हंसदूत,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके दिनांक जून ७, १९६९ और जून ११, १९६९ के पत्रों की प्राप्ति की पावती देता हूं, और मैंने ध्यान से विषय को नोट कर लिया है। नॉर्थ डकोटा के दौरे के संबंध में, यह एक अच्छा प्रस्ताव है। अगर यह व्यावहारिक है, तो यह आपके और आपकी पत्नी के लिए बहुत अच्छा होगा। आपको केवल एक स्टेशन वैगन किराए पर लेना है, ताकि आप यात्रा कर सकें, सो सकें और वहां खाना बना सकें। अपने साथ चार-पांच जोड़ी झांझ, एक हारमोनियम, एक मृदंग रखें। आप में से कोई एक हारमोनियम बजा सकता है, कोई एक मृदंग बजा सकता है, और श्रोताओं में से कुछ व्यक्ति करताल बजा सकते हैं। इस तरह आप अच्छा कीर्तन कर सकते हैं। सुबल मुझसे यहां न्यू वृंदाबन में मिले और इस योजना का वर्णन किया, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह अभी परिपक्व है। लेकिन जब कोई व्यवस्था हो जाए तो आप उसे स्वीकार कर सकते हैं। आपने सुझाव दिया है कि नंदकिशोर और उनकी पत्नी आपके साथ जुड़ें, लेकिन आप प्रति सप्ताह $३५० के साथ दो जोड़ी पति-पत्नियों के साथ कैसे प्रबंधन करेंगे? कार्यक्रम बहुत अच्छा है, और यदि आप इसे व्यावहारिक बना सकते हैं, तो मेरा इसके लिए पूरा समर्थन है। यह हमारे दर्शन और संकीर्तन को फैलाने का एक अच्छा अवसर है। मैं समझता हूं कि आप और हिमावती पहले ही वैंकूवर जा चुके हैं, और मैं इस संबंध में आपसे आपकी रिपोर्ट सम्बंधित एक पत्र की अपेक्षा कर रहा हूं।
कृपया हिमावती को मेरा आशीर्वाद प्रदान करें। मुझे आशा है कि आप दोनों अच्छे हैं।
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी
पुनश्च: जहां तक भक्तों के सुबह उठने के समय की बात है, यहां न्यू वृन्दाबन में लोग चार बजे तक उठ जाते हैं। लेकिन आपके देश में लोग इसके आदी नहीं हैं, और उन्हें इसकी आदत पड़ने में थोड़ा समय लगेगा। लेकिन जहां तक हो सके उन्हें चार बजे उठाने की कोशिश करें।
- HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र
- HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
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- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका से
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका, न्यू वृंदाबन से
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- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका, न्यू वृंदाबन
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