HI/700220 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
From Vanipedia
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"दो प्रकार की परिस्थितियाँ होतीं है - पवित्र एवं अपवित्र। पवित्र अर्थात शुद्ध तथा अपवित्र अर्थात दूषित। हम सभी चिन्मय आत्मा हैं। स्वभावतः हम सभी शुद्ध हैं परन्तु इस वर्तमान समय में जीवन की इस भौतिक स्थिति में इस भौतिक शरीर के साथ हम दूषित है। अतः कृष्णभावनामृत की संपूर्ण प्रक्रिया का उद्देश्य है अशुद्धता के स्तर से मुक्त होकर शुद्धता के स्तर तक पहुँचना।" |
७००२२० - प्रवचन संन्यास दीक्षा - लॉस एंजेलेस |