HI/700418 - हयग्रीव को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस
18 अप्रैल, 1970
श्रीमन हयग्रीव दास अधिकारी
इस्कॉन मंदिर
318 पूर्व 20 वीं एवेन्यू
कोलंबस, ओएच 43201
3764 वात्सका एवेन्यू
लॉस एंजेलिस, कैल. 90034
मेरे प्रिय हयग्रीव,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा 10 तारीख का पत्र प्राप्त हुआ है और उसमें लिखित संदेश बहुत ही उत्साहवर्धक हैं। तो फिलहाल तुम भगवद्गीता यथारूप की पांडुलिपि के साथ कर रहे हो, वह ठीक। इसे बहुत अच्छी तरह से करो। मेरे पास कृष्ण पुस्तक का दूसरा अंश भी है। मैं इसे तुम्हारे पास भेजना चाहता हूँ। तो जब कभी भी तुम्हारे पास फुर्सत हो, मुझे सूचित कर देना, मैं इसे भेज दूंगा। संपादन प्रक्रिया के बारे में मैं खुश हूँ कि तुम बहुत अच्छे से सुधार ला रहे हो, लेकिन अंत में छपाई से पहले तुम्हें प्रत्येक पांडुलिपि की जांच कर ले नी चाहिए। यह व्यवस्था होनी चाहिए।
मैं पहले से ही बड़े विग्रहों को भारत से भिजवाए जाने की व्यवस्था कर रहा हूँ। वे लंदन के विग्रहों के स्तर के ही होंगे। और यदि तुम मेरे बुक फंड में कम से कम $400 का योगदान करो, तो मैं एक जोड़ी भिजवा दूंगा नव वृन्दावन पहुँचाने के लिए। उन्हें ध्यान से प्रथम श्रेणी के बक्से में पैक किया जाएगा और बीमा किया जाएगा इसलिए इसके बारे में चिंता मत करो। मैं यहां से पूरी बातचीत कर रहा हूं।
तो कीर्त्तनानन्द महाराज कुछ दिनों के लिए यहां आने की योजना बना रहे हैं और तुम भी उनके साथ आ सकते हो, और फिर हम एक साथ नव वृन्दावन जा सकते हैं।
आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
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