HI/710215 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जैसे हम इस शरीर को माँ के गर्भ से विकसित करते हैं। पिता बीज देता है, लेकिन शारीरिक अवयव, यानी... जैसे माँ अपने शरीर को विकसित कर रही है, उसी तरह, वह बच्चे के शरीर को भी विकसित कर रही है, खाने से, स्राव द्वारा, स्राव के विकास के द्वारा, वायु। वायु स्राव को सख़्त कर रहा है। यह धीरे-धीरे मांसपेशियों, त्वचा, हड्डी बन रहा है, क्योंकि यह सख़्त और सख़्त होता जा रहा है। एक बहुत अच्छा कारखाना चल रहा है। यह भी प्रकृति से है। और प्रकृति कृष्ण के आदेषानुसार काम कर रही है। इसलिए, परम कारण कृष्ण हैं।"
प्रवचन १ उत्सव श्री.भा. ६.३.२४ आविर्भाव दिवस, भक्तिसिद्धांत सरस्वती - गोरखपुर