"सबसे पहले, हम नहीं जानते कि हम हर कदम में पीड़ित हैं। आप इस पंखा का उपयोग क्यों कर रहे हैं? क्योंकि आप पीड़ित हैं। क्योंकि अत्यधिक गर्मी आप सहन नहीं कर सकते हैं, पीड़ा। इसी तरह, सर्दियों के मौसम में यह हवा एक और पीड़ा होगी। हमने दरवाजों को कसकर बंद कर दिया है ताकि हवा न आ सके। अब हवा में दुःख का प्रतिकार हो रहा है और दूसरे मौसम में वही हवा पीड़ा होगी। इसलिए, हवा पीड़ा का कारण है और यह तथाकथित संतोष का भी कारण है। वास्तव में हम केवल पीड़ित हैं, जिसे हम नहीं जानते हैं। लेकिन हमें भगवान कृष्ण से ज्ञान मिलता है कि यह जगत दुःखालयम अशाश्वतं है (भ.गी. ८.१५)। दुखों के लिए यह एक स्थान है। आप किसी खुशी की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। यही हमारी मूर्खता है।"
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