HI/720221 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद विशाखापट्नम में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कृष्ण भगवद गीता में कहते है;
तथ्य यह है की उसे कृष्ण-चेतना को स्वीकार करना है,फिर इसकी परवाह नहीं है की उसका जन्म कहा हुआ है। वह पारलौकिक जीवन की उच्चतम स्थिति में उन्नत हो सकता है।" |
७२०२२१ - प्रवचन - आंध्रा कॉलेज - विशाखापट्नम |