HI/730720 - यशोमतिनन्दन को लिखित पत्र, भक्तिवेदान्त मैनर
20 जुलाई, 1973
प्रिय यशोमतिनन्दन,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मैंने सुना कि तुम हमारे लॉस एन्जेलेस केन्द्र में स्थानान्तरित हो रहे हो, किन्तु मैं यह नहीं जानता कि तुम हमारे शिकागो केन्द्र से चले गए हो या नहीं। इसलिए मैं इस पत्र कि प्रतियां इन दोनों जगहों पर भेज रहा हूँ।
दरअसल बात यह है कि नैरोबी में हमारे साहित्य को गुजराती भाषा में अनुवाद करने में ब्रह्मानन्द महाराज को कठिनाई हो रही है। वहां पर गुजरातियों की एक बड़ी संख्या है और उन्होंने हमारे कुछ साहित्य को एक अभक्त अनुवादकर्ता द्वारा अनुवाद करवाया है। तुम भली-भांति जानते हो कि यदि कोई अभक्त यदि कृष्ण का विश्लेषण करने चले तो कितना भारी नुकसान हो सकता है। हालांकि सरल व विनीत भक्तों के लिए कृष्ण को समझना बहुत सहज है, किन्तु एक दुरात्मा के लिए कृष्ण बहुत कठिन हैं। तो, यदि संभव हो, तो हम अपनी सारी विदेशी भाषी पुस्तकों का अनुवाद भक्तों द्वारा करवाना चाहते हैं। मैं समझता हूँ कि तुम पहले से ही हमारे साहित्य के गुजराती अनुवाद में कार्यरत हो। तो कृपया तुरन्त ही ब्रह्मानन्द महाराज से संपर्क साधो और अनुवादक के रूप में अपनी सेवाएं अर्पण करो। इसे एक महान उत्तरदायित्व मानो और यह मुझे बहुत ही प्रसन्न करेगा। इस महत्वपूर्ण कार्य में तुम्हारी प्रगति के बारे में जानकर मुझे बहुत हर्ष होगा।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी
यशोमतिनन्दन दास ब्रह्मचारी
इस्कॉन
3764 वात्सेका एवेन्यू
लॉस ऐंजिलिस, सीए
एसीबीएस/एसडीजी
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