"हमने आज ब्रह्मा-संहिता का पाठ किया है। चिंतामणि-प्रकर-सदमसु कल्प-वृक्ष-लक्षा-वृतेषु सुरभि अभिपलायन्तम (ब्र.सं.५.२९)। कृष्ण गायों को पालने में लगे हुए हैं। वह गायों का बहुत शौक रखते हैं, सुरभि। वे साधारण गाय नहीं हैं। आध्यात्मिक दुनिया में, सब कुछ आध्यात्मिक है। इसलिए एक ग्रह है, गोलोक-नामनी, वह सबसे ऊंचा ग्रह है। गोलोक-नामनी निज-धामनी, यह व्यक्तिगत निवास है। गोलोक-नामनी निज-धामनी कहानी तले च तस्य (ब्र.सं.५.४३)। उस ग्रह के अंतर्गत, अन्य ग्रह प्रणालियाँ हैं। उन्हें देवी-धाम, महेश-धाम, हरि-धाम कहा जाता है। अब यह ब्रह्मांड, यह भौतिक संसार, देवी-धाम कहलाता है। देवी-धाम, यह भौतिक ऊर्जा के नियंत्रण में है। सृष्टि-स्थिति-प्रलय-साधन-शक्तिर-एका च एव यस्य भुवनानि विभ्रति दुर्गा (ब्र.सं.५.४४)। यह ऊर्जा भी व्यक्ति है, जिसे दुर्गादेवी कहा जाता है।"
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