HI/730919 बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"जैसे ही आप जरा भी असावधान होते हैं, माया तुरंत आपको बंदी बना लेती है। "हाँ , यहाँ आ जाओ। " तब सब कुछ विफल हो जाता है। हम सब में इन्द्रिय भोग की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। तो इन्द्रियां प्रबल हैं। जैसे ही अवसर मिलता है, इन्द्रियां तुरंत उसका फायदा उठाएंगी।" |
730919 - बातचीत - बॉम्बे |