HI/731209 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मन का अर्थ मानस। हम रथारूढ़ हैं, और मानस सारथी है और इन्द्रियां घोड़े हैं। तो हम जहाँ तहाँ रथ द्वारा ले जाये जा रहे हैं... यह रथ यह शरीर है। मानस सारथि है, या रथ चालक, और इन्द्रियां घोड़े हैं। तो इस प्रकार हम जबरन भ्रमण कर रहे हैं इतने सारे लोकों में, इतनी सारी जैव योनियों में। यह हमारी भौतिक (बद्ध) अवस्था है।"
731209 - प्रवचन SB 01.15.31 - लॉस एंजेलेस