HI/740109b - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"वेद कहते हैं, उत्तिष्ठता: "उठो, उठो, उठो!" जाग्रता: "जागृत हो जाओ।" प्राप्य वरं निबोधता: "अब आपको अवसर मिल गया है। इसका उपयोग करें।" यह वैदिक निषेधाज्ञा है। उत्तिष्ठता जाग्रता प्राप्य वरं निबोधता। यह वैदिक है . . . तमसी मा ज्योतिर गमय। ये वैदिक निषेधाज्ञा हैं। तो हम भी यही प्रचार कर रहे हैं, की "वास्तविकता यहाँ है-कृष्णा। इस अंधेरे में मत रहो। इस चेतना में आओ।" यही हमारा प्रचार है । तमसी मा ज्योतिर गमय।" |
740109 - सुबह की सैर - लॉस एंजेलेस |