HI/740128b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"सूर्य का अर्थ है संयोजन, जिसे कहते है, स्पार्किंग, स्पार्किंग अणु, बहुत छोटे। धूप का मतलब है कि वे समरूप नहीं हैं; वे चमक के छोटे कण हैं, सूर्य के अंश। इसी तरह, हम जीव, हम वैसे हैं- एक छोटा कण, भगवान के अंश। तो हम भी चमक रहे हैं, प्रज्वलित हैं। हम सुस्त नहीं हैं। लेकिन भौतिक प्रकृति के साथ हमारे संयोजन के कारण, हम आच्छादित हैं। इसलिए अब हमारी चमकदार गुणवत्ता थम गई है। चमकदार गुणवत्ता अब थम गई है। यह हमारी परम पुरुष के साथ सम्बन्ध की विस्मृति है" |
740128 - प्रवचन श्री. भा. ०१.१६.३५ - होनोलूलू |