HI/740527 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद रोम में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"भारत में ऐसे कुछ लोग है, खास कर वृंदावन में, गोस्वामी, वे व्यापार करते है। इसीलिए बहुत, बहुत से कलाकार भागवत कथा वाचक है, किंतु वे कभी एक भी व्यक्ति को कृष्ण चेतना में नही ला सकते, क्योंकि उन्हें स्वनुभव नही है, स्वानुभावम। निश्चय ही, हमने हमारा पूरा प्रयास किया, तो कुछ साल में इतने सारे व्यक्ति कृष्ण चेतना में स्थित है।यह है रहस्य। जब तक कोई व्यक्ति स्वानुभव नही है, जिसका जीवन भागवत नही है, तब तक वे भागवत का प्रचार नही कर सकता।
वह नही...वह कोई असर नहीं करेगा। कोई ग्रामोफोन सहायक नही होगा। इसीलिए चैतन्य महाप्रभु के सेक्रेटरी, स्वरूप दामोदर, ने यह सलाह दी है, भागवत पोर गिया भागवत स्थाने अर्थात "अगर आपको श्रीमद भागवतम का पठन करना है तो आपको एक ऐसे व्यक्ति के पास जाना पड़ेगा जिसका जीवन जीवित भागवत है।" इसके अलावा भागवतानुभाव संभव नहीं।" |
740527 - प्रवचन श्री.भा ०१.०२.०३ - रोम |