HI/740607 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद जिनेवा में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आपने कृष्ण को सर्वोच्च अधिकार के रूप में स्वीकार किया है, और कृष्ण कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है, तो मैं संदेहास्पद क्यों बनूँ? मैं क्यों कृष्ण पर अविश्वास करूं? यह प्रक्रिया है। हरे कृष्ण का जप करिये। हमेशा कृष्ण को याद करिये। और मौत किसी भी समय आ सकता है। यह कोई प्रत्याभूति नहीं है कि इतने समय बाद आप मर जाएंगे। किसी भी क्षण, आप मर सकते हैं। मृत्यु, कोई प्रत्याभूति नहीं है। लेकिन यह प्रत्याभूति है कि आपको मरना होगा। यह प्रत्याभूति है। लेकिन आप कब मरेंगे, इसकी कोई प्रत्याभूति नहीं है। इसलिए हमें किसी भी क्षण मौत के लिए तैयार रहना चाहिए। इसलिए भक्त मृत्यु से डरता नहीं है। वह जानता है कि किसी भी क्षण मौत आ सकती है।"
740607 - प्रवचन भ.गी. ०८.०१ - जिनेवा