HI/750123 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा, लेकिन मैं आपको समझाने की कोशिश करूंगा कि इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का उद्देश्य क्या है। इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का उद्देश्य मानव समाज को पशु-गाय और गधे बनने से बचाना है। यही आंदोलन है। उन्होंने अपनी सभ्यता की स्थापना की है, जैसा कि भगवद गीता में कहा गया है, पशु या असुरिक सभ्यता। असुरिक सभ्यता, शुरुवात है, प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च जना न विदुरासुराः (बीजी १६.७)। आसुरी, राक्षसी सभ्यता, वे नहीं जानते कि जीवन की पूर्णता, प्रवृत्ति, और निवृत्ति प्राप्त करने के लिए हमें किस तरह से अपना मार्गदर्शन करना चाहिए, और क्या हमरे लिए अनुकूल और प्रतिकूल है।"
750123 - प्रवचन Festival Cornerstone Laying - बॉम्बे