"यदि आप यह पता लगाने के लिए अपनी इंद्रियों का अनुमान लगाते हैं कि भगवान कहाँ है, आत्मा कहाँ है ... डॉक्टर दैनिक ऑपरेशन कर रहे हैं, दिल का ऑपरेशन कर रहे हैं, और इतने महीन, बारीक सर्जिकल ऑपरेशन कर रहे हैं, लेकिन वे यह नहीं जान सकते कि आत्मा कहाँ है। लेकिन आत्मा है। जिसे हम समझ सकते हैं। जब आत्मा शरीर से चली जाती है, तो हम समझ सकते हैं, "अब आत्मा चली गई है; शरीर मर चुका है।" तो आप समझ सकते हो; आप देख नहीं सकते। यह आपकी स्थूल इंद्रियों का अनुमान लगाने से समझ में नहीं आता है। नहीं आता... यदि आप देखना चाहते हैं कि मन क्या है, बुद्धि क्या है, आत्मा क्या है, परमात्मा क्या है, तो अपनी इन कुंद आँखों से, सशर्त आँखों से देखना संभव नहीं है। सभी को अपनी इंद्रियों पर बहुत गर्व है। कोई कहता है, "क्या आप मुझे भगवान दिखा सकते हैं?" लेकिन क्या आपके पास सबसे पहले भगवान को देखने की शक्ति है?
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