HI/750203b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो जीवन के अज्ञानी चरण में मत रहो। इसे शूद्र कहा जाता है। ब्राह्मण बनने की कोशिश करो। यही अर्थ है। यह निषिद्ध नहीं है कि कोई ब्राह्मण नहीं बन सकता। नहीं, कोई ब्राह्मण बन सकता है। अगर उसे एक ब्राह्मण की संगति मिलती है, अगर वह ब्राह्मण द्वारा प्रशिक्षित होने के लिए सहमत होता है, तो वह ब्राह्मण बन सकता है। और ब्राह्मण का अर्थ है ब्रह्म जानाति इत्ती ब्रह्मणा, जन्म से नहीं। जिस किसी को भी पूर्ण पुरुषोत्तम का पूरा ज्ञान है, वह ब्राह्मण है। जन्मना जायते शूद्रः। जन्म से हर कोई शूद्र है। भले ही वह ब्राह्मण परिवार में पैदा हुआ हो, वह शूद्र है। जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद भवेद द्विजः। संस्कारा का मतलब शुद्धिकरण है। वह सत्यम शौचं है।"
750203 - प्रवचन भ. गी. १६.०७ - होनोलूलू