HI/750215 - गोवर्धन को लिखित पत्र, मेक्सिको सिटी
15 फरवरी, 1975
डेट्रॉइट
मेरे प्रिय गोवर्धन दास,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे 8 फरवरी, 1975 का तुम्हारा पत्र मिला है और मैंने इसे पढ़ा है। श्री श्री राधा कुंज-बिहारी के चित्र के लिए धन्यवाद। यह बहुत अच्छा फोटो है। वे बहुत सुन्दर लग रहे हैं। मैं हरीनाम दीक्षा के लिए ये निम्नलिखित के नाम स्वीकार करता हूँ : ब्रूस- ब्रजेन्द्रलला, मिरियम- मुख्या, जेफ- जयवामन, रॉबिन- राजेन्द्रनाथ, किम- कविराज, कार्ल- कपिलदेव, स्यु- सुक्ति। इनकी जपमालाओं पर सत्स्वरूप महाराज जप कर सकते हैं। यह पक्का कर लो और इनकी सहायता करो कि ये सभी, सारे नियम कानूनों का सख्ती से पालन करके, प्रथम श्रेणी के भक्त बनें, खासकर प्रातः मंगला आरती के लिए ज़रूर उठकर, कम से कम 16 माला जप और कक्षाओं में उपस्थित रहकर।
ब्राह्मण दीक्षा में चयन के लिए योग्यताओं की तुम्हारी सूची बहुत अच्छी है। जहां तक रुद्र दास की बात है, तो वह अपने घर में गौर-निताई की पूजा कर सकता है। उनकी पूजा में सबसे महत्तवपूर्ण अंग है हरे कृष्ण मंत्र का जप। कम से कम एक आरती और सारी तैयार की गई खाद्य सामग्री उन्हें अर्पण कर सकते हैं। मेरी पुस्तकें सबको पढ़नी ही चाहिएं। मैं स्वयं भी पढ़ता हूँ। प्रत्येक को 24 घंटे व्यस्त रहना चाहिए। यह मर्म है। कितना पढ़ना है और कितनी दूसरी सेवाएं करनी हैं, यह निर्णय प्रत्येक भक्त को स्वयं ही लेना है। खाना और सोना न्यूनतम किया जाना चाहिए--- एक क्षण का भी दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
मैं आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में मिले।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
(हस्ताक्षरित)
ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी
एसीबीएस / पीएस
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