HI/750305 बातचीत - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"रिपोर्टर: आपको किस उम्र में भगवान से साक्षात्कार हुआ?

प्रभुपाद: मैं तुम्हें भी साक्षात्कार करा सकता हूँ

रिपोर्टर : माफ कीजिएगा?

प्रभुपाद: अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें भी साक्षात्कार करा सकता हूँ।

रिपोर्टर: मेरा आपसे सवाल है कि आपका किस उम्र में भगवान से साक्षात्कार हुआ?

प्रभुपाद: भगवान आपके और मेरे जैसे व्यक्ति हैं। अंतर यह है कि हम भी व्यक्ति हैं। हम अनेक हैं, और ईश्वर एक है, अग्रणी।

रिपोर्टर: समझ गया, स्वामीजी।

प्रभुपाद: अब, इस एक में और हम अनेक में क्या अंतर है ? वह इन सबका भरण-पोषण करता है, और हम उसके द्वारा पोषित हैं, लेकिन वह भी आपके और मेरे जैसा व्यक्ति है। आप समझे?

रिपोर्टर : हां, मैं समझ गया, लेकिन स्वामीजी, मेरा आपसे सवाल उससे कुछ ज्यादा ही तीखा था। आपपके द्वारा अभी दिए गए उत्तर की मैं सराहना करता हूँ, लेकिन किस उम्र में आपको सर्वोच्च सत्य का एहसास हुआ? किस शारीरिक उम्र में . .?

प्रभुपाद: उम्र का कोई सवाल ही नहीं है। जीवन के आरंभ से ही भगवान की प्राप्ति की शिक्षा देनी चाहिए।

रिपोर्टर: ओह, मैं समझता हूँ, स्वामीजी। मेरा आपसे प्रश्न था कि किस उम्र में आपने स्वयं इस भौतिक अवतार में सर्वोच्च सत्य का अनुभव किया?

प्रभुपाद: बेशक, हम एक बहुत अच्छे परिवार में पैदा हुए थे। मेरे पिता ने मुझे इस तरह से शिक्षित किया। तो व्यावहारिक रूप से हमारे जीवन की शुरुआत से ही हम इस तरह से शिक्षित थे।

रिपोर्टर: अरे नहीं, मैं समझ गया। मेरा मतलब है कि आपको किस समय अपनी व्यक्तिगत अनुभूति हुई, स्वामीजी ? किस उम्र में?

प्रभुपाद: ठीक है, कि मैं उम्र से कह सकता हूँ, कह सकते हैं, चार या पाँच साल ।"

750305 - भेंटवार्ता - न्यूयार्क