HI/750315 बातचीत - श्रील प्रभुपाद तेहरान में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हर कोई आश्वस्त है, "अब मैं विवाहित हूं, मेरी स्थिति सुरक्षित है। मेरे पास इतना पैसा है। मेरे इतने सारे दोस्त हैं। मेरा पास इतना प्रभाव है। मुझे अच्छी पत्नी, अच्छे बच्चे, बैंक में जमा राशि अच्छा है, अच्छा पद मिला है। मैं हरे कृष्ण का जप करने क्यों जाऊं ? मैं सुरक्षित हूं।" यह चल रहा है। हर कोई सोच रहा है कि वह पूर्ण है। यह अज्ञानता। "मैं सभी कानूनों का उल्लंघन कर सकता हूं। मैं नियमों और विनियमों का उल्लंघन कर सकता हूं। मुझे किसी की परवाह नहीं है ।" इसलिए उन्हें मूढ़ा कहा गया है। न माम दुष्कितिनो मूढ़ा।"
750315 - वार्तालाप - तेहरान