HI/750403b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण कहते हैं, मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद यतति सिद्धये ([[[Vanisource:BG 7.3 (1972)|भ. गी. ७.३]]): "कई लाखों लोगों में से, कोई इस बारे में दिलचस्पी ले सकता है कि जीवन की पूर्णता क्या है।" वे ऐसा नहीं चाहते हैं। "और ऐसे लाखों लोगों में से," यतताम अपि सिद्धानां (भ. गी. ७.३), "जो जीवन की पूर्णता के लिए प्रयास कर रहे थे, उनमें से कई लाखों में से, कोई एक जीव मुझे समझ सकता है, कृष्ण।" माया इतनी मजबूत है। मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद यतति सिद्धये। भगवद गीता में सब कुछ है। कृष्ण भावनामृत सामान्य व्यक्ति के लिए नहीं है। सबसे भाग्यशाली, भाग्यवान जीव। गुरु-कृष्ण कृपा पाया भक्ति-लता-बीज (चै. च. मध्य १९.१५१)। ये सभी जीव, पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे हैं . . . एई रुपे ब्रह्मांड भ्रमिते। अगर किसी को गुरु और कृष्ण का कृपा मिलता है, तो वह समझ सकता है। और अगर फिर भी कोई बहस करता है, तो वह फिर से दुर्भाग्यशाली है।"
750403 - सुबह की सैर - मायापुर