HI/750407b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"सुनने, सुनने, सुनने से-यह एक औषधीय प्रक्रिया है-हृदय शुद्ध हो जाएगा और वे ज्ञान ग्रहण करेंगे। अब हृदय अशुद्ध है, इसलिए वह ग्रहण नहीं कर सकता है। तो यह दवा है। कलौ नास्ति एव नास्ति एव नास्ति एव गतिर अन्यथा। हरेर नाम हरेर . . . ।। (चै. च. आदि १७.२१)। जहां भी संभव हो हरे कृष्ण मंत्र का जप करें, और जो भी सुनेगा, वह धीरे-धीरे शुद्ध हो जाएगा। चेतो-दर्पण-मार्जनम (चै. च. अंत्य २०.१२) और फिर भव-महा-दावाग्नि . . . तब उसकी भौतिक पीड़ा समाप्त हो जाएगी। यह एकमात्र दवा है। इसलिए हरे कृष्ण का जप करें। किसी न किसी तरह, उन्हें सुनने का मौका दें, और फिर यह दवा के रूप में कार्य करेगा। अगर उसकी इच्छा न भी हो, तुम जप करो, तुम उसे ज़बरदस्ती सुनने दो, और वह स्वस्थ हो जाएगा।"
750407 - सुबह की सैर - मायापुर