HI/750414c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हैदराबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तो आधुनिक सभ्यता वैदिक सभ्यता से काफी अलग है। वैदिक सभ्यता का अर्थ है इस समस्या का समाधान करना: जन्म, मृत्यु, जरा व्याधि की इस प्रक्रिया को रोकना। यही वैदिक सभ्यता है। यही मानव सभ्यता है। और बेहतर शूकर बनने के लिए, सुसजित शूकर, वह वैदिक सभ्यता नहीं है, वह शूकर सभ्यता है।
तो हमारा कृष्ण भावनामृत आंदोलन लोगों को शूकर सभ्यता या कुत्ते की सभ्यता से मानव सभ्यता तक बचाने की कोशिश कर रहा है । वह है . . . मानव सभ्यता का अर्थ है सादा जीवन और आध्यात्मिक भावनामृत में आगे बढ़ना, न कि अनावश्यक रूप से कृत्रिम जीवन शैली को बढ़ाना। लेकिन हमें यह जानना चाहिए कि जीवन का उद्देश्य क्या है और किसी भी हालत में जीवन के लक्ष्य में सफलता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। यही वैदिक सभ्यता है।" |
750414 - आजीवन सदस्य के घर में प्रवचन - हैदराबाद |