HI/750525c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तो कृष्ण ने कहा, "वह सबसे अच्छा योगी है ।" योगिनाम अपि सर्वेषाम। सर्वेषाम का अर्थ है "सभी में से ।" "सभी प्रकार के योगियों में, सर्वश्रेष्ठ योगी वह है जो हमेशा मेरे बारे में सोचता है।"
यही कृष्ण का तत्त्व है। वह भगवद गीता में सीख दे रहे हैं, मन-मना भव मद-भक्तो मद-याजी मां नमस्कुरु (भ. गी. १८.६५)। चार बातें। अगर आप ईमानदारी से ये चार काम करते हो—हमेशा कृष्ण के बारे में सोचो, मन-मना; बस उनके भक्त बन जाओ, मन-मना भव मद-भक्तो; मद-याजी, कृष्ण की पूजा करो . . . जैसे हम मंदिर के कमरे में करते हैं। मन-मना। . . . अगर आप भक्त हैं तो आप कहीं भी पूजा कर सकते हैं। एक भक्त कहीं भी, एक पेड़ के नीचे, कृष्ण की पूजा कर सकता है, क्योंकि कृष्ण हर किसी के ह्रदय में हैं, ईश्वरः सर्व-भूतानां ह्रद-देशे अर्जुन तिष्टति (भ. गी. १८.६१)। तो अगर आप एक पेड़ के नीचे कृष्ण के बारे में सोचते हैं और हरे कृष्ण का जप करते हैं, तो यह पर्याप्त है। कृष्ण को किसी बड़े सामग्री की आवश्यकता नहीं है। वे केवल यही चाहते हैं कि आप कैसे एक सच्चे भक्त हैं। बस इतना ही।" |
750525 - प्रवचन - होनोलूलू |