HI/750611b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"पहली शिक्षा यह समझना है कि आत्मा क्या है। फिर आध्यात्मिक ज्ञान है . . . वे नहीं जानते कि आत्मा क्या है।

(विराम) . . . इमानी भूतानी भवंती। वह आत्मा है, सबका मूल स्रोत है। यह शरीर, मूल स्रोत आत्मा है। जैसे ही आत्मा नहीं होगी, शरीर विकसित नहीं होगा। वे वास्तव में देख रहे हैं। इसलिए मूल स्रोत आत्मा है। मरा हुआ बच्चा क्यों नहीं बढ़ता? या मरा हुआ युवक नहीं बढ़ता? उन्होंने अध्ययन नहीं किया, फिर भी, कारण क्या है? यदि यह रासायनिक है, तो कुछ रसायन डालें, यदि आप जानते हैं, और इसे विकसित करें। क्या कोई है . . . वे ऐसा क्यों नहीं कर सकते? वे क्यों कहते हैं कि यह रासायनिक है? रसायन आपके पास है। तो मृत बच्चे को रसायन का सुई लगाओ और वह विकसित हो जाएगा। तब यह सही है। और वो कहां है? सिर्फ फर्जी प्रचार। और हमें इसे स्वीकार करना है। या तो उन्हें कहना होगा कि "हाँ, यह रासायनिक है, लेकिन हमें वह रसायन नहीं मिला।"

750611 - सुबह की सैर - होनोलूलू