HI/750621 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"लब्ध्वा सु-दुर्लभम इदं बहू-सम्भवांते (श्री. भा. ११.९.२९)। यह श्रीमद-भागवतम का निर्देश है। "नहीं, इसे बर्बाद मत करो। आपको कई जन्मों के बाद, विकासवादी प्रक्रिया से, जीवन का यह मानव रूप, वरदान में मिला है। क्या आपको जीवन के इतने विविध रूप दिखाई नहीं देते? और आपको इन सभी जीवन के विविध रूप से गुजरना पड़ा। अब आप मानव जीवन में आ गए हैं, इसलिए आपको इसका उपयोग करना चाहिए।"

तो वह पूर्ण उपयोग है, कृष्ण भावनाभावित कैसे बनें। हम एक के बाद एक, आएंगे। यह कर्म-कांड्य विचार, यह हमारी मदद नहीं करेगा। इसकी चर्चा अगले श्लोक में की जाएगी। न तो मानसिक अटकलें हमारी मदद करेंगी। जब तक हम भक्ति के स्तर पर नहीं आते और पूरी तरह से कृष्ण के प्रति समर्पण नहीं करते और कृष्ण भावनामृत पथ को नहीं अपनाते, यह बहुत, बहुत कठिन है।"

750621 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.०८ - लॉस एंजेलेस