HI/750623b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कोई भी सलाह नहीं देगा। उसका बेटा हिप्पी बन जाएगा-वह बर्दाश्त करेगा: "यह आधुनिक फैशन है।" और अगर वह कृष्ण भावनामृत आंदोलन में शामिल होता है, तो वह दुखी होता है, क्योंकि वह चाहता है कि "मेरा बेटा भी यही काम कर सकता है।" इसे पुन: पुन: चर्विता-चर्वणानां कहा जाता है। दुनिया ऐसे ही चल रही है। वे चबे हुए को चबा रहे हैं। हम कृष्ण भावनामृत आंदोलन में सिखा रहे हैं कि "आप इस भौतिक जीवन शैली से क्या हासिल करेंगे? बस कृष्ण को समझने की कोशिश करो, और तब तुम सबसे बड़ा लाभ पाओगे।" त्यक्तवा देहं पुनर जन्म नैति (भ. गी. ४.९)। हम जिन मुसीबतों को झेल रहे हैं ये हमारे भौतिक शरीर को स्वीकार करने की वजह से हैं। यह वे नहीं जानते। वे इस भौतिक शरीर के अलावा कुछ भी नहीं जानते हैं। यस्यात्मा-बुद्धि: कुनपे त्रि-धातुके, स एव गो-खर: (श्री. भा. १०.८४.१३)।"
750623 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.१० - लॉस एंजेलेस