HI/750628 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद डेन्वर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
वे यह नहीं समझते कि यह भौतिक बद्ध जीवन हमेशा दुखदायक है । उन्होंने स्वीकार किया है, 'यह बहुत अच्छा है' । पशु, जानवर... जैसे कसाईखाने में, पशुधन गोदाम में, बहुत सारे जानवर हैं, और वे मारे जाने वाले हैं । सब को पता है । खुद वें जानवर भी जानते हैं । लेकिन उनके पशु के गुण के कारण, वे कुछ भी नहीं कर सकते । इसी तरह, हम भी इस भौतिक दुनिया के कसाईखाने में डाले गए हैं । इसे मृत्यु-लोक कहा जाता है । सभी जानते हैं कि उसकी हत्या कर दी जाएगी । आज या कल या पचास साल बाद या सौ साल बाद, हर कोई जानता है कि उसकी हत्या कर दी जाएगी । वह मर जाएगा, मृत्यु का अर्थ है वध । कोई भी मरना नहीं चाहता । जानवर भी मरना पसंद नहीं करते, लेकिन उन्हें जबरन मार दिया जाता है । इसे वध कहा जाता है।
750628 - प्रवचन श्री.भा. ६.१.१५ - डेन्वर