"मान लीजिए कि आपको यह शर्ट मिली है। यदि आप केवल इस शर्ट को बनाए रखने की कोशिश करते हैं, तो क्या यह बहुत अच्छी बुद्धि है, अपने व्यक्ति की परवाह किए बिना? इसी तरह, अगर हम आत्मा हैं और शरीर पोशाक की तरह है, तो पूरी भौतिक दुनिया है . . . हर कोई शरीर की देखभाल में लगा हुआ है। कोई नहीं जानता कि आत्मा क्या है, इसकी क्या आवश्यकता है। कोई नहीं जानता। ये सभी शिक्षण संस्थान, वे अंधे हैं। अंधा यथांदैर उपनियामानास (श्री. भा. ७.५.३१)। और सारी व्यवस्था भी अंधी है। यदि एक अंधा दूसरे अंधे को रास्ता दिखाए, तो क्या फायदा? कोई फायदा नहीं। इसलिए आपके देश में, हर देश में, यह एक अंधी शिक्षा है। कोई आध्यात्मिक प्रबोधन नहीं।"
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