HI/750717 - गोपाल कृष्ण को लिखित पत्र, बर्क्ले
17 जुलाई, 1975
मेरे प्रिय गोपाल कृष्ण दास,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा दिनांक 12 जुलाई, 1975 का पत्र प्राप्त हुआ है और मैंने इसे पढ़ा है। यदि वृंदावन की व्यवस्था में कोई बुरा असर न पड़े, तो अक्षयानंद स्वामी का यात्रा व संग्रह करना ठटीक है। यह संग्रह भी प्रचार है। परन्तु केवल संग्रह ही नहीं बल्कि व्यय भी स्थिर किया जाना चाहिए और उसकी भी जांच होनी चाहिए। फिज़ूलखर्ची बिलकुल नहीं होनी चाहिए। यह तुम्हें देखना होगा। यह कैसे किया जाए, इसके लिए मेरे दिमाग पर बोझ मत डालो। मैंने तुम्हें जिम्मा दिया है कि कैसे किया जाए।
गाड़ी खरीदने के मामले मेः एक मर्स्डीज़ गाड़ी क्यों नहीं खरीद लेते। जिससे जब मैं भारत में हूँ तो उसे उपयोग में ला सकता हूँ। मुझे अम्बैसेडर गाड़ी बहुत पसंद नहीं है।
वृंदावन मन्दिर में तुम जिन उत्सवों का आयोजन कर रहे हो, मैंने अपने पिछले पत्र में सुझाया था कि पुष्पों की फूल-वाडी बनाई जाए। कृपया इसका आयोजन करो। साथ वाले भूखण्ड की खरीद के मामले में, खरीद फरोख्त के लिए, डी.एम. की सहायता क्यों नहीं ले लेते। उसकी अनुमति ले लो कि कोई सरकारी जांच न हो। इस प्रकार से विक्रेता के लिए जोखिम की कोई बात नहीं रहेगी। यह स्पष्ट कर दो कि यह व्यक्ति बेचने को राज़ी हो गया है और अब इस कारण से हिचकिचा रहा है। उसे इस संदर्भ में हमारी सहायता करनी चाहिए।
हाँ, तुम विग्रहों को संकीर्तन के लिए एक रथ पर निकाल सकते हो। हाँ, तुम गेस्ट-हाऊज़ के बजाए मन्दिर व आश्रम का नाम दे सकते हो।
पहले तुमने कहा था कि यदि मैं धन भिजवाऊं, तो तुम बम्बई प्रॉजेक्ट को छः मास में पूरा कर दोगे। अब कह रहे हो कि एक र्ष में करोगे। तो भला ऐसा क्यों है?
श्यामलाल गुप्ता को मैं भली-भांति जानता हूँ। वह एक सुयोग्य व्यक्ति है और यदि चाहे तो अनेक प्रकार से हमारी सहायता कर सकता है। तुम उसे सूचित कर सकते हो कि हम विश्व भर, मासिक 30 से 40 लाख रुपये की हमारी पुस्तकों की बिक्री कर रहे हैं। किन्त भारत में हमारी कोई बिक्री व्यवस्था न होने के कारण, हम भारत में बिक्री नहीं कर रहे हैं। लेकिन उसे विशेषाधिकार देने के लिए, उसे प्रति माह कुछ न्यूनतम ऑर्डर संख्या की गारंटी लेनी होगी। हम विश्व भर में मासिक 30-40 लाख की बिक्री करते हैं तो भारत में हमें कम-से-कम एक लाख रुपए की बिक्री की अपेक्षा तो करनी होगी।
यदि वे एक व्यावहारिक मासिक ऑर्डर का जिम्मा लें, तो प्रयोगात्मक तौर पर हम इन्हें, छः माह से एक वर्ष तक की अवधि के लिए, विशेषाधिकार प्राप्त बिक्री एजेन्ट का अधिकार दे सकते हैं। यदि वे रु 1 लाख प्रति माह को राज़ी हों, तो पहले चार माह तक उन्हें रु 50,000 प्रति माह और डिलिवरी के पश्चात रु 1 लाख प्रति माह अदा करने होंगे। हाँ, तुम छोटी पुस्तकें जितनी चाहो छपवा सकते हो। काग़ज़ का जो नमूना तुमने पिछले पत्र के साथ में भेजा था, यदि वह भारतीय पुस्तक बाज़ार में स्वीकृत हो, तो स्वीकार्य है। काग़ज़ निम्न कोटि का भी हो, पर यदि बिक्री जारी रहती है, तो ठीक है। एस.चन्द कं. हमारी पुस्तकें रु एक लाख प्रति माह की बेचने की क्षमता रखते हैं। लेकिन जो पुस्तकें हम स्वयं बेचें उनपर इन्हें कोई कमीशन प्राप्त नहीं होना चाहिए। साथ ही हम भी अपनी पुस्तकों का मूल्य उनकी दुकानों की अपेक्षा कम नहीं रखेंगे।
अतिरिक्त मात्रा में छोटी पुस्तकें छपवाने हेतू, तुम बम्बई के ऋण लौटाने वाले धन का प्रयोग कर सकते हो। मैंने इतना सारा ऋण दिया है, और वह सब वापस किया जाना चाहिए। अन्यथा तुम, हाल ही में भिजवाए गए 50,000 डालर में से ले सकते हो। लेकिन धन आता रहेगा। उसकी चिन्ता मत करो। क्या ओबरॉय-शेराटन ने पुस्तकें खरीदीं? होटलों को अपने कमरों में रखने के लिए अवश्य ही पुस्तकें खरीदनीं होंगी। यह मेरी 80वीं वर्षगांठ है, 79वीं नहीं।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
(हस्ताक्षर)
ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
एसीबीएस/बीएस
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