HI/750721b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह मानव जीवन परोपकार के लिए है, दूसरों के लिए अच्छा करने के लिए। तो इसलिए सन्यास व्यवस्था का मतलब है कि वह अपना पूरा जीवन शब्द, शरीर और मन से, सब कुछ समर्पित कर देता है। तो परिणाम यह है कि क्योंकि वह अपने सभी भौतिक संबंधों का त्याग कर रहा है-संन्यास का मतलब है सभी भौतिक संबंध-तो परिणाम होगा, अहम् तारिष्यामि दुरंत-पारम। परिणाम होगा . . . क्योंकि वह कृष्ण की सेवा के लिए जीवन समर्पित करने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर रहा है, और कृष्ण चाहते हैं कि ये सभी दुष्ट अपना सब कुछ त्याग दें और उसके प्रति समर्पण करें। तो आपको यह सिखाना होगा, बस इतना ही। यारे देखा, तारे कह कृष्ण-उपदेश (चै. च. मध्य ७.१२८)। यह कृष्ण की इच्छा है।"
750721 - प्रवचन दीक्षा संयासा - सैन फ्रांसिस्को