HI/750731 बातचीत - श्रील प्रभुपाद न्यू ऑरलियन्स में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण सत्य हैं। कृष्ण के बिना, सब कुछ असत्य है। सत्य एक है। जैसे शून्य शून्य है। और इसे एक के साथ जोड़ा जाय, फिर यह दस है। यह सत्य है। इसलिए शून्य हमेशा शून्य होता है। सौ लाख गुना शून्य जोड़ा जाय, तब भी यह शून्य है। लेकिन जब एक होता है, तो तुरंत मूल्य बढ़ जाता है। तो कृष्ण के बिना, यह सारी भौतिक उन्नति, यह सभी शून्य हैं। लेकिन अगर आप कृष्ण को लाते हैं, तो यह... जो मूल्य बढ़ाता है - दस, सौ, हजार, दस हजारों, उस तरह, लाख, अरबों। क्योंकि एक है। तो कृष्ण को लाओ, और फिर सब कुछ मूल्यवान होगा। अन्यथा, सभी शून्य। आप तथाकथित भौतिक उन्नति पर गर्व कर सकते हैं। यह शून्य है, क्योंकि यह आपको नहीं बचा सकता, क्योंकि तथा तथा देहान्तरप्राप्तिर (भ.गी.२.१३), आपको अपना शरीर बदलना होगा। तो आपने इतने करोड़ और अरबों पैसे कमाए हैं। यह ठीक है। लेकिन आपको खाली हाथ जाना होगा।"
७५०७३१ - बातचीत - न्यू ऑरलियन्स