HI/750804 - गोपाल कृष्ण को लिखित पत्र, डेट्रॉइट
4 अगस्त, 1975
बॉम्बे
मेरे प्रिय गोपाल कृष्ण दास,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। पंचद्रविड़ स्वामी को संबोधित तुम्हारा दिनांक 23 जुलाई, 1975 का पत्र मैंने पढ़ा है। तो अभी वहां पर एक मन्दिर की आवश्यकता नहीं लगती। पर किसी को वहां पर अवश्य ही रहना होगा और साहित्य छपवाना होगा। गुरु गौरान्ग की वेदी रखो। लेकिन कोई अच्छा प्रचारक नहीं है। यहां तक की पंचद्रविड़ भी परास्त होता है। त्रिविक्रम परास्त हुआ। तुम्हें बस साहित्य छपवाना चाहिए और उसका वितरण करना चाहिए। किराए की सबसे छोटी जगह ले लो। यशोमतिसुत को करने दो। यदि ज़रूरत पड़े तो वर्तमान फ्लैट छोड़ दो।
भूरिजन वहां पर जाना चाहता था। पर यदि वह आध्यात्मिक रूप से दुर्बल है, तो कोई आवश्यकता नहीं है। साहित्य छापो और वितरण करो। और यदि ऐसा करना असंभव हो, तो इसे बंद कर दो। यशोमतिसुत को किसी सहायता मिलनी चाहिए। वह एक अच्छा लड़का है। इसलिए मुझे इसे बंद करना अच्छा नहीं लगता।
तुमने बम्बई के बारे में कुछ क्यों नहीं लिखा?
मैं आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
(हस्ताक्षर)
ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
एसीबीएस/बीएस
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