"तो नारायण इतने दयालु हैं कि यद्यपि उनका मतलब असली नारायण नहीं था-उनका मतलब उनका बेटा था-लेकिन नारायण के लिए स्नेह था। तो नारायण इतने दयालु हैं कि होशपूर्वक या अनजाने में, यदि आप भगवान के पवित्र नाम का जप करते हैं, तो यह आपका श्रेय जाता है। जैसे कभी-कभी जब आप सड़क पर चलते हैं, तो लोग "हरे कृष्ण!" कहते हैं तो इसका श्रेय भी उन्हें जाता है। जब वे एक वैष्णव को अपना सम्मान देते हैं, तो इसका श्रेय उन्हें जाता है। जब कोई इस मंदिर में आता है, दण्डवत प्रणाम करता है, यह उनके श्रेय को जाता है, क्योंकि कृष्ण कहते हैं, मन-मना भव मद-भक्तो मद-याजी माम नमस्कुरु (भ. गी. १८.६५)।"
|